सखि,
बड़ा आनंद आ रहा है । बड़े बड़े अजूबे हो रहे हैं इस देश में आजकल । कहीं पर सी बी आई की टीम को स्थानीय पुलिस गिरफ्तार कर रही है तो कहीं पर एन सी बी के दफ्तर को एक मुख्यमंत्री अपने समर्थकों के साथ घेर रही है और आरोपियों को छुड़ा कर ले जा रही है । एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में जाकर किसी का अपहरण कर रही है तो दूसरे राज्य की पुलिस बाहरी राज्य की पुलिस को गिरफ्तार कर रही है । हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राजस्थान की पुलिस एक पत्रकार को गिरफ्तार करने के लिए उसके घर के आगे धरने पर बैठी है । इन सब घटनाओं के कारण आजकल कोई कॉमेडी शो देखने की इच्छा ही नहीं होती है । गजब की कॉमेडी चल रही है पूरे देश में ।
एक गृह मंत्री "हफ्ता वसूली" करता पाया जाता है तो एक पुलिस का "चिंदी" सा अधिकारी देश के सबसे बड़े उद्योगपति के घर के सामने विस्फोटकों से भरी एक कार महज इसलिए खड़ी कर देता है कि इससे डरकर वह अंद्योगपति हजार दो हजार करोड़ रुपए उन पर "न्यौछावर" कर दे । पुलिस ही उस गाड़ी के मालिक की हत्या कर रही है और दुनिया तमाशा देख रही है । "शांति समुदाय" का एक मंत्री आतंकवादियों से रिश्ते रखने के कारण जेल में बैठा है और जेल से ही सरकार चला रहा है । ऐसे ऐसे दृश्य देखकर बड़ा गर्व हो रहा है हमें कि हम उस देश के वासी हैं जहां जेल से सरकार चलती है ।
वैसे ये कोई नई घटना तो है नहीं । इस महान परंपरा के आविष्कारक तो महान संत "श्री श्री लालू प्रसाद जी" रहे हैं जिन्होंने अपनी "खड़ाऊं" अपनी धर्म पत्नी को सौंप दी थी, जब वे "जेल गमन" पर निकले थे । श्रीमती राबड़ी देवी जी ने उन खड़ाऊं को "गद्दी" पर रख दिया और वे "लालू चालीसा" का अनवरत पाठ करती रहीं ।
"भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे"
की जगह बस वे "गुंडे, अपराधी निकट न आवे, लालू प्रसाद जब नाम सुनावे" बोलती रही । इस मंत्र का इतना चमत्कार था कि राबड़ी जी सालों तक राज करती रहीं और उधर महान संत लालू जी जेल से ही सरकार चलाते रहे ।
महाराष्ट्र की महाअघाड़ी या महा लुटेरी, जो भी आप समझें, सरकार के "अघोषित कर्ता धर्ता" ने आज तक "नवाब साहब" से इस्तीफा नहीं लिया है । और लें भी क्यों ? वे तो उनके "नवरत्न" हैं । और उन्होंने किया ही क्या है ? किसी आतंकी की संपत्ति ही तो ओने पाने दामों में खरीदी है । रही बात जेल जाने की तो गांधीजी, नेहरू जी भी तो जेल गये थे । अब ये अलग बात है कि वे ऐसी जेल में गये थे जो "आगा खां महल" थी । हम भी उस जेल में जा पाते तो धन्य हो जाते । वैसे महाअघाड़ी सरकार ने भी उस जेल को "पंचसितारा" बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है । आखिर "नवाब साहब" की शान में कोई गुस्ताखी ना होने पाए । वोट बैंक का भी तो ध्यान रखना है ना । और फिर जेल जाना तो "स्वतंत्रता संग्राम" का एक हिस्सा है । अगर देश के नेता जेल नहीं जाते तो क्या भारत आजाद होता ? तो "नवाब साहब" भी अगर जेल में हैं तो यह हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है । फिर "नवाब" साहब का कसूर क्या है ? अरे, उन्होंने किसी आतंकवादी के किसी गुर्गे से अगर कोई जायदाद "भुस के भाव" खरीदी थी तो इसमें उनका क्या कसूर है ? "नवाब" साहब की प्रतिष्ठा है ही इतनी ज्यादा कि इन्हें तो कोई भी आतंकी कितनी ही प्रॉपर्टी "दान" में भी दे सकता है । आखिर दोनों का रिश्ता "भाई भाई" के जैसा ही तो है ।
अब क्या बताएं सखि कि ये केंद्र की एजेन्सियां पीछा ही नहीं छोड़ रही हैं इनका । कल ही एन आई ए ने मुंबई में छापेमारी की थी । सुना है कि कोई सोहेल खानवंडी के ठिकानों पर भी रेड मारी गई थी । अब ये सोहेल साहब तो आतंकियों याकूब मेमन, जिसे मुंबई धमाकों में फांसी की सजा हुई थी और जिसके लिए सुप्रीम कोर्ट रात के बारह बजे खुला था, जैसों के पैसे यह सोहेल "डील" करता था । इस सोहेल की राजनीतिक हस्ती क्या है , यह मत पूछो । महाराष्ट्र का ऐसा कौन सा बड़ा नेता है जिसके साथ उसके रिश्ते ना हों । ये पता नहीं किस किस के तोते उड़ायेगा अब । माजरा तो उलझता ही जा रहा है सखि,
आगे आगे देखिए होता है क्या ? तो हम भी इंतजार करते हैं । मगर तुमको तो करना ही है । आज के लिए इतना ही काफी है । बाकी कल ।
बाय बाय
हरिशंकर गोयल "हरि"
10.5.22
kashish
12-Feb-2023 02:31 PM
nice
Reply
sunanda
01-Feb-2023 02:52 PM
very nice
Reply
Muskan khan
11-May-2022 02:29 PM
Amazing
Reply